नर्मदा नदी : भारत की प्राचीन और पवित्र जीवनधारा
नर्मदा नदी, जिसे श्रद्धा से "नर्मदा मैया" कहा जाता है, भारत की सबसे प्राचीन और पवित्र नदियों में से एक है। मान्यता है कि जहाँ अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, वहीं नर्मदा के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति का मन और कर्म शुद्ध हो जाता है।
नर्मदा नदी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और रोचक बातें:
भारत की सबसे प्राचीन नदी मानी जाती है — भूगर्भीय और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से।
उद्गम स्थल: अमरकंटक (मध्यप्रदेश) के मैकल पर्वत पर स्थित अमरकंटक पठार से निकलती है।
उम्र: इसका जन्म लगभग 4 से 6 करोड़ वर्ष पूर्व क्रिटेशियस युग में माना जाता है।
धार्मिक मान्यता: इसे शंकर भगवान की पुत्री भी कहा जाता है, इसलिए इसे "शांकरी" नाम से भी जाना जाता है।
वह दिशा में बहने वाली गिनी-चुनी नदियों में से एक है — नर्मदा पूर्व की बजाय पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में जाकर मिलती है।
विंध्य और सतपुड़ा पर्वतों के बीच बहती है, और इन दोनों पर्वतों को जोड़ती है।
झीलों का निर्माण: अपने मार्ग में कई जगह यह नदी नीची पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरती है, जिससे ताजे पानी की झीलें बनती हैं।
नर्मदा घाटी की उम्र: भूवैज्ञानिकों के अनुसार यह घाटी 60 से 250 करोड़ वर्ष पुरानी है।
डायनासोर जीवाश्म:
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1860 में कर्नल उहिस्लाव ने नर्मदा घाटी में डायनासोर के जीवाश्म खोजे थे।
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यहां उड़ने वाले डायनासोर (फ्लाइंग डाइनोसॉर) के अवशेष भी मिले हैं।
नर्मदा एल्युवियम (जलोढ़ मिट्टी) का निर्माण अभिनूतन काल का माना गया है।
आज भी नर्मदा का उद्गम स्थल सक्रिय है, अर्थात जल स्रोतों की निरंतरता बनी हुई है।
नर्मदा का आध्यात्मिक महत्व
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नर्मदा परिक्रमा का विशेष महत्व है। यह 3,000 किलोमीटर से अधिक की परिक्रमा यात्रा होती है जिसे श्रद्धालु वर्षों में पूर्ण करते हैं।
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ऐसी मान्यता है कि नर्मदा तट पर किए गए दान, तप, ध्यान और साधना का फल अत्यंत शीघ्र और गुणकारी होता है।
नर्मदा – सिर्फ एक नदी नहीं, एक जीवनदायिनी शक्ति
नर्मदा ना सिर्फ भूगर्भीय इतिहास का एक अद्भुत प्रमाण है, बल्कि वह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आस्था की अमर प्रतीक भी है। इसके तटों पर आज भी संत, साधक, पर्यटक और श्रद्धालु एक साथ दिखाई देते हैं, जो इसे केवल एक नदी नहीं, बल्कि मां के रूप में पूजते हैं।