हाथ में धातु का कड़ा क्यों पहनना चाहिए?

हाथ में कड़ा पहनने का चलन बहुत पहले से है। सिख धर्म में कड़े को धारण करना आवश्यक माना गया है। सिख धर्म में अधिकाँश लोग चांदी या अष्टधातु का कड़ा धारण करते हैं। इसे सिख लोगों के पंचकारों में से एक माना जाता है।
दरअसल, कड़ा पहनने के रिवाज के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। माना जाता है कि हाथ में कड़ा धारण करने से कई तरह की बीमारियों से रक्षा होती है। वहीं ज्योतिष के अुनसार चंद्र को मन का कारक माना गया है। चांदी की चंद्र की धातु माना गया है। इसीलिए माना जाता है कि चांदी का कड़ा धारण करने से बीमारियां दूर होने के साथ ही चंद्र से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं व एकाग्रता बढ़ती है।
जो व्यक्ति बार बार बीमार होता है, उसे सीधे हाथ में अष्ट धातु का कड़ा पहनना चाहिए। मंगलवार को अष्ट धातु का कड़ा बनवाएँ। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएँ। शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद कड़े में हनुमान जी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें। ध्यान रहे यह कड़ा हनुमान जी का आर्शीवाद स्वरूप हैं। अतः अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें। अन्यथा कड़ा प्रभावहीन हो जाएगा।