गायत्री मंत्र का जाप: सही समय, अर्थ और 8 चमत्कारी लाभ

गायत्री मंत्र का महत्त्व
गायत्री मंत्र वैदिक परंपरा का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्र माना गया है। इसका जाप करने से व्यक्ति को मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से बल प्राप्त होता है। यह बुद्धि, आत्मबल और शांति प्रदान करने वाला मंत्र है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र का अर्थ
हम उस दिव्य परमात्मा का ध्यान करते हैं, जो संपूर्ण सृष्टि के रचयिता हैं, जो प्रकाशस्वरूप हैं। वह परम तेजस्वी परमात्मा हमारी बुद्धि को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।
गायत्री मंत्र जाप के लिए उपयुक्त समय (त्रिकाल संध्या)
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प्रात:काल — सूर्योदय से कुछ समय पहले से लेकर सूर्योदय के थोड़ी देर बाद तक।
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मध्यान्हकाल — दोपहर के समय, जब सूर्य शीर्ष पर होता है।
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सायंकाल — सूर्यास्त से कुछ समय पहले से शुरू कर सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद तक।
विशेष:
यदि इन तीन समयों के अलावा जाप किया जाए तो मौन या मानसिक रूप से जाप करना चाहिए। मंत्र का उच्चारण धीमा और भावपूर्ण हो, तेज आवाज में नहीं।
गायत्री मंत्र जाप की विधि
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स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पवित्र स्थान या घर के मंदिर में बैठें।
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रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार जाप करें।
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गायत्री माता का ध्यान करते हुए श्रद्धा व विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।
गायत्री मंत्र जाप के 8 आश्चर्यजनक लाभ
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मानसिक उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
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धार्मिक, सेवा और सद्कर्मों में रुचि बढ़ती है।
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पूर्वाभास या छठी इंद्रिय का विकास होता है।
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वाणी में प्रभाव और आशीर्वाद देने की शक्ति आती है।
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स्वप्नों में संकेत मिलने लगते हैं (स्वप्न सिद्धि)।
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क्रोध, द्वेष और अशांति में कमी आती है।
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चेहरे और त्वचा पर प्राकृतिक तेज एवं चमक आती है।
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मन बुरे विचारों, नकारात्मकता और बुराईयों से दूर रहता है।