गोस्वामी तुलसीदासकृत विनय-पत्रिका

विनय-पत्रिका का महत्व:
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गोस्वामी तुलसीदासजी ने अंतिम समय में असी घाट (काशी) पर रहते हुए हनुमान जी की प्रेरणा से यह ग्रन्थ लिखा।
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यह ग्रन्थ भगवान श्रीराम के चरणों में समर्पित एक विनय पत्र है, जिसपर श्रीराम ने अपने हस्ताक्षर भी किए।
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विनय-पत्रिका के पद हनुमान जी की कृपा से श्रीराम से मिलने का मार्ग बताते हैं।
कुछ प्रमुख स्तुतियां:
श्रीगणेश-स्तुति (राग विलावल)
गणपति की महिमा, उनके अनेक नाम और कृपा का वर्णन।
सूर्य-स्तुति (राग विलावल)
दीनदयालु सूर्य देव की महिमा, जो सब दुखों को दूर करते हैं।
शिव-स्तुति (राग धनाश्री और बसंत)
भगवान शिव की महिमा, उनके सौंदर्य, कृपा और जगत पालन का गुणगान।
देवी-स्तुति (राग मारू और रामकली)
देवी भवानी की शक्ति, संकट निवारण और संसार संहार के स्वरूप का वर्णन।
गंगा स्तुति (राग रामकली)
गंगा मैया की पवित्रता और पाप नाशक प्रभाव का स्तवन।
चित्रकूट-स्तुति (राग बसंत)
चित्रकूट के सौंदर्य और वहाँ के वातावरण का वर्णन।
हनुमत-स्तुति (राग धनाश्री, सारंग, विलावल)
हनुमान जी की वीरता, भक्तिपूर्ण सेवा और संकटमोचन स्वरूप का गुणगान।
लक्ष्मण-स्तुति (दण्डक)
लक्ष्मणजी की सेवा, शक्ति और भक्तिभाव का वर्णन।
भरत-स्तुति और शत्रुघ्न-स्तुति
राम के अन्य भाईयों की भक्ति, पराक्रम और सेवा का स्तवन।