कलियुग से जुड़े रोचक तथ्य – शास्त्रों के अनुसार

कलियुग से जुड़े रोचक तथ्य – शास्त्रों के अनुसार

सनातन धर्म के अनुसार सृष्टि की रचना चार युगों के चक्र में चलती है — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग। ये चार युग सृष्टि के क्रमिक पतन और पुनः उत्थान की प्रक्रिया को दर्शाते हैं। वर्तमान में हम कलियुग में हैं — यह युग धर्म के सबसे पतले रूप का प्रतीक है। शास्त्रों में कलियुग को लेकर कई अद्भुत और रोचक तथ्य बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि पुराणों और ग्रंथों में कलियुग के बारे में क्या कहा गया है:

1. कलियुग की आयु – सूर्य सिद्धांत के अनुसार

सूर्य सिद्धांत, एक प्राचीन ज्योतिष ग्रंथ के अनुसार, कलियुग की कुल आयु 4,32,000 मानव वर्ष बताई गई है।
द्वापरयुग की समाप्ति और भगवान श्रीकृष्ण के पृथ्वी से प्रस्थान के साथ ही कलियुग का आरंभ हुआ।
अब तक केवल लगभग 5,000 वर्ष ही बीते हैं।
इस आधार पर अभी भी लगभग 4,27,000 वर्ष कलियुग के शेष हैं।

2. कलियुग का अंत – महाभारत के अनुसार

महाभारत के अनुसार, कलियुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे।
यह अवतार शंभल ग्राम में विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा।
कल्कि अवतार अधर्म, पाप और अत्याचार को समाप्त कर पुनः धर्म की स्थापना करेंगे और सतयुग का प्रारंभ होगा।

3. देवी भागवत के अनुसार कलियुग

देवी भागवत पुराण में कलियुग की अवधि 10,000 वर्षों की मानी गई है (यह संख्या प्रतीकात्मक भी मानी जाती है)।
इस ग्रंथ के अनुसार, जैसे-जैसे ये युग अपने मध्य चरण तक पहुंचेगा,

  • नदियाँ देवी रूप में वैकुण्ठ लौट जाएंगी,

  • धरती से तीर्थ, शक्ति, शिवभक्त, और संतजन धीरे-धीरे विलुप्त होने लगेंगे,

  • पूजा-पाठ और सत्कर्म लुप्तप्राय हो जाएंगे।

 4. ब्रह्मपुराण की भविष्यवाणी

ब्रह्मपुराण में उल्लेख है कि कलियुग में

  • मनुष्य धर्म से विमुख होगा,

  • अत्याचार, हिंसा, पाखंड, और असत्य बढ़ेंगे,

  • समाज में नैतिक पतन होगा,

  • और अंत में एक भयंकर जनसंहार होगा।

इस स्थिति में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतरित होकर अधर्म का विनाश करेंगे और पुनः सतयुग की स्थापना करेंगे।

5. कलियुग के संकेत (लक्षण) – अन्य ग्रंथों से

  • पुत्र अपने पिता को बोझ मानेंगे,

  • स्त्रियाँ पति के साथ वफादारी छोड़ देंगी,

  • झूठ और धन ही सफलता के पैमाने होंगे,

  • अच्छे लोगों का अपमान और पाखंडियों का सम्मान होगा,

  • धार्मिक स्थानों का व्यावसायिक उपयोग होने लगेगा।

 निष्कर्ष

हालाँकि कलियुग को अंधकारमय युग माना गया है, परंतु सत्कर्म, सत्संग, नामस्मरण और धर्मपालन से भी इस युग में मोक्ष संभव है।
शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि — "कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिरि सुमिरि नर उतरहि पारा"।
अर्थात कलियुग में भगवान का नाम स्मरण ही परम साधन है।