नव निधियां: लक्ष्मी की नौ दिव्य संपत्तियां
हमारे प्राचीन ग्रंथों में "नव निधियों" का उल्लेख अनेक स्थानों पर मिलता है। माना गया है कि धन के बिना जीवन के किसी भी आयाम को पूर्णता नहीं मिल सकती। इसीलिए धर्म के बाद धन को दूसरा स्थान प्राप्त है।
हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ ना कुछ निष्ठापूर्ण परिश्रम, साधना, और भक्ति से इन निधियों में से कोई एक अथवा अधिक पा सकता है।
शास्त्रों में इसे "श्री-संपन्न" होना कहा गया है, अर्थात् वह व्यक्ति जो लक्ष्मी की कृपा से संपन्न हो।
तो आइए जानते हैं कौन-सी हैं ये नव निधियां:
1. पद्म निधि
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यह सात्विक प्रकार की निधि है।
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इसका प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है।
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यह साधक के परिवार में स्थायित्व और सुख-शांति बनाए रखती है।
2. महापद्म निधि
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यह भी सात्विक निधि है।
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इसका प्रभाव सात पीढ़ियों तक बना रहता है, इसके बाद समाप्त हो जाता है।
3. नील निधि
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यह सत्व और रज गुणों से मिश्रित है।
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यह विशेष रूप से व्यापार में सफलता के लिए होती है।
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व्यापार करने वाले लोगों को इसका लाभ अधिक मिलता है।
4. मुकुंद निधि
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यह राजसी स्वभाव वाली निधि है।
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इसका साधक भोग-विलास में डूबा रहता है।
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इसका प्रभाव एक पीढ़ी तक सीमित होता है।
5. नन्द निधि
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यह रजो और तमो गुणों से युक्त होती है।
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यह व्यक्ति को लंबी आयु, अविरल तरक्की और सामाजिक प्रभाव देती है।
6. मकर निधि
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यह तामसिक निधि मानी जाती है।
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यह व्यक्ति को अस्त्र-शस्त्र, बल, और शक्ति प्रदान करती है।
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परंतु अक्सर इस निधि के कारण ही उसकी मृत्यु होती है।
7. कच्छप निधि
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इस निधि का साधक अपनी संपत्ति को छुपाकर रखता है।
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ना स्वयं उपयोग करता है, ना दूसरों को करने देता है।
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यह गुप्त धन का प्रतीक है।
8. शंख निधि
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इस निधि को पाने वाला व्यक्ति धनवान होता है।
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लेकिन वह केवल स्वयं पर खर्च करता है।
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उसके परिवारजन गरीबी में जीवन बिताते हैं।
9. खर्व निधि
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यह सबसे निचली और नकारात्मक निधि है।
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इसे प्राप्त व्यक्ति प्रायः विकलांग, अहंकारी और लालची होता है।
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समय आने पर यह धोखा देता है, लूटता है और भाग जाता है।
सिद्धियों का संबंध
सात्विक सिद्धियां प्राप्त करना अत्यंत कठिन है।
लेकिन तामसिक निधियां और सिद्धियां जल्दी आकर्षित करती हैं और व्यक्ति को भ्रम में डाल सकती हैं।
इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि धन तो सबके पास आता है, परंतु जो धर्मयुक्त धन हो, वही सच्ची लक्ष्मी कहलाती है।
नव निधियों को प्राप्त करने की पात्रता
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केवल धन पाने की इच्छा से नहीं, सच्चे धर्म, सत्य, और निष्ठा के मार्ग से चलकर ही इन निधियों का स्थायी लाभ मिलता है।
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वरना, मकर, खर्व, या शंख जैसी निधियां केवल दुखद अंत ही लाती हैं।