सूर्य ग्रह रहस्य वैदिक ज्योतिष

हिंदू मान्यताओं में सूर्य को विशेष रूप से भगवान का दृश्य रूप कहा गया है! उन्हें सत्वगुण का माना जाता है और वे आत्मा, राजा, प्रतिष्ठा, ऊंचे व्यक्तियों या पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य मेष राशि में उच्चव्तुला में नीच के होते हैं। सिंह लग्न के प्रभाव में पैदा हुए जातक सिंह राशि के अंतर्गत आते हैं! वर्तमान परिपेक्ष्य में सिंह लग्न के जातक उच्चपदासीन होते देखे गए हैं! मुसीबत में सूबोर्डिनेट्स के हितैषी होते हैं, मुश्किल समय में आसानी से घबराते नहीं हैं, विपरीत परिस्थितियों में इनके लिए निर्णय विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूर्य ग्रह राशि, भाव और विशेषताएं –
राशि स्वामित्व : सिंह
दिशा : पूर्व
दिन : रविवार
तत्व : अग्नि
उच्च राशि : मेष
नीच राशि : तुला
दृष्टि अपने भाव से:
लिंग: पुरुष
नक्षत्र स्वामी : कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा
शुभरत्न : माणिक
महादशा समय : 6 वर्ष
मंत्र : ऊँ सूर्याय नम:
सूर्य ग्रह शुभ फल; प्रभाव कुंडली
यदि सूर्य कुंडली में शुभ गृह हो और शुभ स्थित हो तो ऐसे जातकों की मैनेजमेंट स्किल्स गजब की होती है। विपरीत स्थिति में बहुत उम्दा प्रदर्शन करते हैं, बड़े फैसले लेने से नहीं घबराते व् अपने अधीनस्तों का ध्यान रखने वाले होते हैं। ऊंचे सरकारी गैर सरकारी पदों पर आसीन होते हैं। मान प्रतिष्ठा में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की होती है।
सूर्य ग्रह के अशुभ फल प्रभाव कुंडली
यदि लग्न कुंडली में सूर्य सही स्थित न हो या किसी कारणवश अशुभ हो जाये तो ऐसा जातक कमजोर होगा। आँखों की बीमारी हो सकती है। हड्डियां कमजोर होने की सम्भावना होती है। अधिक खराब हो जाये तो हार्टसर्जरी, या हार्ट ब्लॉकेज भी हो सकती है। मान सम्मान में कमी आती है। पिता के सुख में कमी आती है। प्रतिष्ठा में बाटता लगना आदि स्थितियों से दो चार होना पड़ता है।
सूर्य शान्ति के उपाय - रत्न
लग्न कुंडली में शुभ सूर्य शुभ स्थित हो और बलाबल में कमजोर हो तो सूर्य रत्न माणिक धारण करना उचित रहता है। माणिक के उपरत्न गार्नेट (याकूब), रेडटर्मेलाइन हैं। माणिक के अभाव में उपरत्नो का उपयोग किया जा सकता है। किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली का उचित निरिक्षण आवश्य करवाएं।
सूर्य देव को प्रणाम करें, सादा जल चढ़ाएं
पिता या पिता तुल्य बुजुर्गों की सेवा करें, उनका आशीर्वाद लें
गुड़, सोना, तांबा और गेहूं का दान करें
लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में मिलाएं, फिर इस पानी से नहाएं
गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय मंत्र (आदित्य हृदयम) का जाप करें