नाम जप में मन को एकाग्र करने के उपाय

प्रस्तावना
नाम जप साधना का मूल उद्देश्य ईश्वर से तादात्म्य स्थापित करना है। किंतु, जब हम नाम जप करते हैं तो मन में बार-बार अनावश्यक और भटकाव वाले विचार उत्पन्न होते हैं। ये विचार मन की अस्थिरता, शंकाएँ और पुराने संस्कारों के कारण होते हैं। इस लेख में हम नाम जप में मन की एकाग्रता बढ़ाने के सरल एवं प्रभावशाली उपायों पर चर्चा कर रहे हैं।
1. नाम जप में एकाग्रता कैसे बढ़ाएँ?
१. जप की गिनती करें
जपमाला या डिजिटल काउंटर का उपयोग कर सकते हैं। इससे मन इधर-उधर भटकने की अपेक्षा जप की संख्या पर केंद्रित होता है।
२. जप को उच्च स्वर में करें
जब मन भटके, तो जप को थोड़ा ऊँचे स्वर में करें या नाम जप की ऑडियो (CD/ऑनलाइन) सुनें। यह सुनकर मन की चंचलता कम होती है और विचारों का प्रभाव घटता है।
३. जप की गति बढ़ाएं
कभी-कभी जप की गति को तेज करना भी एकाग्रता में सहायक होता है। बाद में मन के स्थिर होते ही गति सामान्य करें।
४. शांत व सात्त्विक स्थान का चयन करें
कोलाहल मुक्त, प्राकृतिक या पूजा स्थान के समीप जप करना श्रेष्ठ होता है, क्योंकि वहां की ऊर्जा एकाग्रता में सहायक होती है।
५. सोने से पूर्व एवं जागरण के बाद जप करें
नींद से ठीक पहले और जागने के तुरंत बाद मन अपेक्षाकृत शांत होता है। यह समय जप में एकाग्रता के लिए उपयुक्त है।
६. श्वास के साथ जप को जोड़ें
श्वास के साथ नाम जप को जोड़ने से अनावश्यक विचारों का प्रभाव कम होता है और ध्यान केंद्रित होता है।
७. जप मुद्रा का उपयोग करें
तर्जनी और अंगूठे के सिरे मिलाकर बनाई गई "मुद्रा" से भी एकाग्रता में वृद्धि होती है। इससे मस्तिष्क को संकेत मिलता है कि यह ध्यान का समय है।
८. ‘स्वयं सूचना’ तकनीक अपनाएँ
अपने मन को सुझाव दें:
"जब मेरा मन विचारों में भटकेगा, तब मुझे उसका भान होगा और मैं पुनः जप पर केंद्रित हो जाऊँगा।"
यह वाक्य ५ बार दोहराएँ। यह प्रक्रिया दिन में ३–५ बार करें।
९. दृष्टि को स्थिर रखें (त्राटक)
जप करते समय किसी बिंदु पर दृष्टि स्थिर रखने से मन भी स्थिर होता है और विचार कम होने लगते हैं।
१०. आँखें मूँद कर जप करें
बाह्य आकर्षणों से दूर रहने के लिए आँखें बंद कर जप करें। नींद आने पर आँखें खोल लेना बेहतर होता है।
११. उपास्य देवता का चित्र रखें
जिस देवता का नाम जप कर रहे हैं, उनका चित्र सामने रखें। इससे मन देवता के रूप में टिकता है।
१२. देवता या गुरु का स्मरण करें
देवता या गुरु के स्मरण से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है और मन सरलता से नाम में एकाग्र होता है।
१३. प्रार्थना करें
ईश्वर से हृदय से प्रार्थना करें –
"हे ईश्वर, कृपया मेरी सहायता करें कि मेरा मन नाम जप में एकाग्र हो सके।"
१४. आध्यात्मिक उपाय अपनाएँ
नमक-मिश्रित जल में पैर डुबाना, अग्नि शुद्धि (अगरबत्ती, धूप) आदि उपायों से काले आवरण का प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है।
१५. नियमित अभ्यास करें
जितना अधिक नियमित रूप से नाम जप करेंगे, उतना ही मन का विक्षेप कम होगा और एकाग्रता बढ़ेगी।
१६. गुरु कृपा का महत्व
हमारे प्रयास सीमित होते हैं। अंततः पूर्ण एकाग्रता गुरु कृपा से ही संभव होती है। गुरु ही मार्गदर्शन देते हैं कि कब और कैसे साधना में गहराई लानी है।
2. सारांश
एकाग्रता से किया गया नाम जप अधिक प्रभावकारी होता है। यह मन को आनंद, आत्मविश्वास और सुरक्षा प्रदान करता है।
यदि मन बार-बार भटकता है, तब भी जप न छोड़ें। जप करते रहना ही अभ्यास है। धीरे-धीरे एकाग्रता सहज रूप से विकसित होती है। छह माह की साधना अवधि निर्धारित कर आप इसका अनुभव कर सकते हैं।
निष्कर्ष
नाम जप केवल एक साधना नहीं, अपितु मन, वाणी और चेतना का सामूहिक प्रयास है, जो आत्मा को परमात्मा के समीप ले जाता है। इसमें एकाग्रता एक अवस्था है, जो अभ्यास, श्रद्धा और गुरु कृपा से स्वतः प्राप्त होती है।