शनिवार को जूते-चप्पल क्यों नहीं खरीदे जाते: शनि देव और पैरों का गहरा संबंध
भारतीय ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में शनिदेव को न्याय के देवता माना गया है। वे व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव का सीधा संबंध पैरों से होता है, और यही कारण है कि जूते-चप्पल जैसी वस्तुएं, जो पैरों से जुड़ी हैं, विशेष रूप से शनिवार के दिन एक धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
शनिदेव और जूते-चप्पल का संबंध
पैरों से जुड़ा प्रतीक: शनि का संबंध शरीर के सबसे निचले भाग यानी पैरों से होता है। जूते-चप्पल, जो पैरों से जुड़ी वस्तुएं हैं, इसलिए शनि की कृपा या क्रोध का संकेत इन्हीं से जुड़ी घटनाओं से मिल सकता है।
जूते-चप्पल का गुम हो जाना: कई बार मंदिर में दर्शन के बाद जूते-चप्पल का गुम या चोरी हो जाना एक शुभ संकेत माना जाता है। यह दर्शाता है कि शनिदेव की अशुभ छाया समाप्त हो रही है और अब शुभ समय आरंभ होने वाला है।
घर में जूते-चप्पल पहनने की मनाही: जो लोग घर के अंदर जूते-चप्पल पहनते हैं, उनके साथ राहु और केतु जैसे अशुभ ग्रहों की ऊर्जा भी घर में प्रवेश कर सकती है। इससे घर का वातावरण नकारात्मक हो सकता है।
मुख्य द्वार पर जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए: शास्त्रों में कहा गया है कि घर के मुख्य द्वार पर जूते-चप्पल रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, जिससे घर का सुख-शांति प्रभावित होती है।
पुराने और फटे जूते पहनने से बचना चाहिए: शनिदेव को अनुशासनप्रिय माना गया है। फटे या टूटे हुए जूते पहनना आलस्य, दरिद्रता और शनि की अशुभता को आमंत्रण देने जैसा माना जाता है।
शनिवार को जूते-चप्पल खरीदना क्यों वर्जित है
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन जूते-चप्पल जैसी वस्तुएं खरीदना शनि से जुड़ी पीड़ाओं और बाधाओं को बढ़ा सकता है। चूंकि जूते पैरों से संबंधित हैं, इसलिए इन्हें खरीदने से शनि की नकारात्मक ऊर्जा जीवन में प्रवेश कर सकती है। इस कारण परंपरा में शनिवार को जूते-चप्पल न खरीदने की सलाह दी जाती है।
शनिदोष से बचाव का उपाय
अगर किसी को शनि की अशुभ छाया का संदेह हो, तो शनिवार के दिन काले रंग की चमड़े की चप्पल या जूते किसी मंदिर के बाहर उतार कर, बिना पीछे देखे लौट आना एक सरल और प्रभावी उपाय माना गया है। इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और बाधाएं दूर होती हैं।
निष्कर्ष
धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय संकेतों के अनुसार, शनिवार को जूते-चप्पल खरीदना शुभ नहीं माना जाता। यह परंपरा केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि जीवन में अनुशासन, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने का प्रतीक है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए हमें अपने कर्म, विचार और आचरण को शुद्ध और सयंमित रखना चाहिए।
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