विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तंत्र

विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तंत्र
(ऋषि-मुनियों द्वारा किया गया अद्भुत अनुसंधान)
समय की सूक्ष्मतम इकाइयाँ:
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1 काष्ठा = 1 सेकंड का 34,000वाँ भाग
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1 त्रुटि = 1 सेकंड का 300वाँ भाग
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2 त्रुटि = 1 लव = 1 क्षण
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30 क्षण = 1 विपल
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60 विपल = 1 पल
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60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट)
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2.5 घड़ी = 1 होरा (1 घंटा)
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3 होरा = 1 प्रहर
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8 प्रहर = 1 दिवस (वार)
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24 होरा = 1 दिवस
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7 दिवस = 1 सप्ताह
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4 सप्ताह = 1 मास
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2 मास = 1 ऋतु
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6 ऋतु = 1 वर्ष
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100 वर्ष = 1 शताब्दी
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10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी
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432 सहस्राब्दी = 1 युग
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2 युग = 1 द्वापर युग
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3 युग = 1 त्रेता युग
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4 युग = 1 सतयुग
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4 युग (सत + त्रेता + द्वापर + कलियुग) = 1 महायुग
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72 महायुग = 1 मन्वंतर
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1000 महायुग = 1 कल्प
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1 महायुग = 1 नित्य प्रलय (पृथ्वी पर जीवन का अंत और पुनः आरंभ)
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1 कल्प = 1 नैमित्तिक प्रलय (देवों का अंत और जन्म)
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730 कल्प = 1 महालय (ब्रह्मा का अंत और पुनर्जन्म)
प्राकृतिक व आध्यात्मिक द्वैत (Dualities):
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दो लिंग: नर, नारी
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दो पक्ष: शुक्ल, कृष्ण
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दो पूजा पद्धति: वैदिकी, तांत्रिकी
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दो अयन: उत्तरायण, दक्षिणायन
त्रिविध (तीन-तीन प्रकार):
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तीन देव: ब्रह्मा, विष्णु, महेश
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तीन देवियाँ: सरस्वती, लक्ष्मी, गौरी
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तीन लोक: पृथ्वी, आकाश, पाताल
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तीन गुण: सत्त्व, रज, तम
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तीन स्थिति: ठोस, द्रव, वायु
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तीन काल: भूत, वर्तमान, भविष्य
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तीन अवस्था: जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति
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तीन नाड़ी: इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना
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तीन शक्ति: इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति
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तीन संध्या: प्रातः, मध्यान्ह, सायं
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तीन पड़ाव: बचपन, जवानी, बुढ़ापा
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तीन रचनाएँ: देव, दानव, मानव
चतुर्थ (चार-चार प्रकार):
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चार धाम: बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम्
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चार मुनि: सनक, सनातन, सनंदन, सनत कुमार
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चार वर्ण: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र
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चार नीति: साम, दाम, दंड, भेद
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चार वेद: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद
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चार स्त्री संबंध: माता, पत्नी, बहन, पुत्री
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चार आश्रम: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास
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चार पुरुषार्थ: धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
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चार वाद्य: तत्, सुषिर, अवनद्ध, घन
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चार जीव: अंडज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज
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चार अप्सरा: उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा
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चार गुरु: माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु
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चार वाणी: ओंकार, अकार, उकार, मकार
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चार समय: सुबह, दोपहर, शाम, रात
पंचतत्व व पंचविध:
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पाँच तत्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
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पाँच देवता: गणेश, दुर्गा, विष्णु, शिव, सूर्य
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पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ: आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा
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पाँच कर्मेन्द्रियाँ: वाणी, हाथ, पाँव, मलद्वार, जननेन्द्रिय
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पाँच कर्म: रस, रूप, गंध, स्पर्श, ध्वनि
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पाँच अमृत: दूध, दही, घी, शहद, शक्कर
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पाँच प्रेत: भूत, पिशाच, वैताल, कूष्मांड, ब्रह्मराक्षस
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पाँच वायु: प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान
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पाँच वृक्ष (वटवृक्ष):
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सिद्धवट (उज्जैन)
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अक्षयवट (प्रयागराज)
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बोधिवट (बोधगया)
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वंशीवट (वृंदावन)
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साक्षीवट (गया)
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पाँच पत्ते: आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक
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पाँच कन्या: अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी
षड्विध (छह):
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छः ऋतु: शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत
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छः वेदांग (ज्ञान के अंग): शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिष
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छः दोष: काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य (ईर्ष्या)
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छः कर्तव्य (कर्म): देवपूजा, गुरुसेवा, स्वाध्याय, संयम, तप, दान
सप्तम (सात):
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सात छंद: गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, बृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती
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सात स्वर: सा, रे, ग, म, प, ध, नि
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सात सुर: षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद
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सात चक्र: मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा, सहस्त्रार
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सात वार: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार
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सात मिट्टियाँ:
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गौशाला
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घुड़साल
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हाथीसाल
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राजद्वार
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बाम्बी
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नदी संगम
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तालाब
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सात महाद्वीप:
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जम्बूद्वीप (एशिया)
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प्लक्षद्वीप
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शाल्मलीद्वीप
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कुशद्वीप
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क्रौंचद्वीप
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शाकद्वीप
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पुष्करद्वीप
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यह समस्त ज्ञान भारत की सनातन संस्कृति की गौरवशाली विरासत है।
हमें इस पर गर्व करना चाहिए और इसे आगे की पीढ़ियों तक पहुँचाना चाहिए।